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Showing posts from April, 2020

हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय - Harishankar Parsai Biography In Hindi

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हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय जीवन परिचय -- श्री हरिशंकर परसाई जी का जन्म मध्य प्रदेश में इटारसी के निकट जमानी नामक स्थान पर 22 अगस्त, 1924 ई॰ को हुआ था। आरम्भ से लेकर स्नातक स्तर तक इनकी शिक्षा मध्य प्रदेश में हुई। नागपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने हिन्दी में एम॰ ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की। परसाई जी ने कुछ वर्षों तक अध्यापन-कार्य किया तथा साथ-साथ साहित्य-सृजन आरम्भ किया। नौकरी को साहित्य-सृजन में बाधक जानकर इन्होंने उसे तिलांजलि दे दी और स्वतन्त्रतापूर्वक साहित्य-सृजन में जुट गये। इन्होंने जबलपुर से 'वसुधा' नामक साहित्यिक मासिक पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन आरम्भ किया, परन्तु आर्थिक घाटे के कारण उसे बन्द कर देना पड़ा। इनकी रचनाएँ साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग आदि पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहीं। परसाई जी ने मुख्यत: व्यंग्यप्रधान ललित निबन्धों की रचना की है। 10 अगस्त, 1955 ई॰ को जबलपुर में इनका देहावसान हो गया। साहित्यिक योगदान -- परसाई जी हिन्दी व्यंग्य के आधार-स्तम्भ थे। इन्होंने हिन्दी व्यंग्य को नयी दिशा प्रदान की है और अपनी रचनाओं में व्यक्ति और समाज की...

रसखान का जीवन परिचय - Raskhan Biography In Hindi

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रसखान का  जीवन परिचय           जीवन परिचय -- रसखान दिल्ली के पठान सरदार थे। इनका पूरा नाम सैयद इब्राहीम 'रसखान' था। इनके द्वारा रचित 'प्रेम वाटिका' ग्रन्थ से यह संकेत होता है कि ये दिल्ली के राजवंश में उत्पन्न हुए थे और इनका रचना-काल जहाँगीर का राज्य-काल था। इनका जन्म सन् 1558 ई॰ (सं॰ 1615 वि॰) के लगभग दिल्ली में हुआ था। 'हिन्दी-साहित्य का प्रथम इतिहास' के अनुसार इनका जन्म सन् 1533 ई॰ में पिहानी, जिला हरदोई (उ॰प्र॰) में हुआ था। हरदोई में सैयदों की बस्ती भी है। डॉ॰ नगेन्द्र ने भी अपने 'हिन्दी-साहित्य के इतिहास' में इनका जन्म सन् 1533 ई॰ के आस-पास ही स्वीकार किया है। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने दिल्ली में कोई विप्लव होता देखा, जिससे व्यथित होकर ये गोवर्धन चले आये और यहाँ आकर श्रीनाथ की शरणागत हुए। इनकी रचनाओं से यह प्रमाणित होता है कि ये पहले रसिक-प्रेमी थे, बाद में अलौकिक प्रेम की ओर आकृष्ट हुए और कृष्णभक्त बन गये। गोस्वामी बिट्ठलनाथ ने पुष्टिमार्ग में इन्हें दीक्षा प्रदान की थी। इनका अधिकांश जीवन ब्रजभूमि में व्यतीत हुआ। यही कारण है कि ये कंचन ध...

सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय - Sumitranandan Pant Biography In Hindi

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सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन परिचय जीवन परिचय -- सुकुमार भावनाओं के कवि और प्रकृति के चतुर-चितेरे श्री सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म 20 मई, सन् 1900 ई॰ को प्रकृति की सुरम्य गोद में अल्मोड़ा के निकट कौसानी नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ गंगादत्त पन्त था। इनके जन्म के छ: घण्टे के बाद ही इनकी माता का देहान्त हो गया था; अत: इनका लालन-पालन पिता और दादी के वात्सल्य की छाया में हुआ। पन्त जी ने अपनी शिक्षा का प्रारम्भिक चरण अल्मोड़ा में पूरा किया। यहीं पर इन्होंने अपना नाम गुसाईंदत्त से बदलकर सुमित्रानन्दन रखा। इसके बाद वाराणसी के जयनारायण हाईस्कूल से स्कूल-लीविंग की परीक्षा उत्तीर्ण की और जुलाई, 1919 ई॰ में इलाहाबाद आये और म्योर सेण्ट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। सन् 1921 ई॰ में महात्मा गांधी के आह्यान पर असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर इन्होंने बी॰ ए॰ की परीक्षा दिये बिना ही कॉलेज त्याग दिया था। इन्होंने स्वाध्याय से संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला और हिन्दी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। प्रकृति की गोद में पलने के कारण इन्होंने अपनी सुकुमार भावना को प्रकृति के चित्रण में व्यक्त ...

अशोक वाजपेयी का जीवन परिचय - Ashok Vajpayee Biography In Hindi

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अशोक वाजपेयी का जीवन परिचय जीवन परिचय -- श्री अशोक वाजपेयी का जन्म 16 जनवरी, सन् 1941 ई॰ को तत्कालीन मध्य प्रदेश के दुर्ग नामक स्थान पर हुआ था। इनका परिवार निम्न-मध्यमवर्गीय एवं संस्कारी था। इन्होंने सागर विश्वविद्यालय से बी॰ ए॰ तथा सेण्ट स्टीफेन्स कॉलेज, नयी दिल्ली से अंग्रजी विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। सन् 1965 ई॰ में नयी दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज के अंग्रजी विभाग से अध्यापन-कार्य छोड़कर ये भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए और प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में कार्य किया। प्रशासनिक सेवा में आने के पूर्व से ही ये कवि रूप में चर्चित रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में इनके द्वारा प्रकल्पित और स्थापित संस्थानों, आयोजनों, प्रकाशनों और विमर्शों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये 'जामिया मिलिया इस्लामिया' विश्व-विद्यालय तथा 'बिरला फाउण्डेशन' से भी सम्बध्द रह चुके हैं। भोपाल में इन्होंने एक बहु-आयामी कला-केन्द्र 'भारत भवन' की स्थापना की। वर्धा स्थित महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्...

डॉ राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय - Dr. Rajendra Prasad Biography In Hindi

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डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद का जीवन परिचय जीवन परिचय -- देशरत्न डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद का जन्म सन् 1884 ई॰ में बिहार राज्य के छपरा जिले के जीरादेई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम महादेव सहाय था। इनका परिवार गाँव के सम्पन्न और प्रतिष्ठित कृषक परिवारों में से था। इन्होंने कलकत्ता (कोलकाता) विश्वविद्यालय से एम॰ ए॰; एल-एल॰ बी॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। ये प्रतिभासम्पन्न और मेधावी छात्र थे और परीक्षा में सदैव प्रथम आते थे। कुछ समय तक मुजफ्फरपुर कॉलेज में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् ये पटना और कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील भी रहे। इनका झुकाव प्रारम्भ से ही राष्ट्रसेवा की ओर था। सन् 1917 ई॰ में गाँधी जी के आदर्शों और सिध्दान्तों से प्रभावित होकर इन्होंने चम्पारन के आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया और वकालत छोड़कर पूर्णरूप से राष्ट्रीय स्वतन्त्रता-संग्राम में कूद पड़े। अनेक बार जेल की यातनाएँ भी भोगीं। इन्होंने विदेश जाकर भारत के पक्ष को विश्व के सम्मुख रखा। ये तीन बार अखिल भारतीय कांग्रेस के सभापति तथा भारत के संविधान का निर्माण करने वाली सभा के सभापति चुने गये। राजनीतिक जीवन के अतिरिक्त बंगाल ...

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय - Aacharya Ramchandra Shukla Biography In Hindi

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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय जीवन परिचय - हिन्दी के प्रतिभासम्पन्न मूर्धन्य समीक्षक एवं युग-प्रवर्तक साहित्यकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म सन्   1884 ई॰ में बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम के एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ था। इनके पिता चन्द्रबली शुक्ल मिर्जापुर में कानूनगो थे। इनकी माता अत्यन्त विदुषी और धार्मिक थीं। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा अपने पिता के पास जिले की राठ तहसील में हुई और इन्होंने मिशन स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। गणित में कमजोर होने के कारण ये आगे नहीं पढ़ सके। इन्होंने एफ॰ ए॰ (इण्टरमीडिएट) की शिक्षा इलाहाबाद से ली थी, किन्तु परीक्षा से पूर्व ही विद्यालय छूट गया। इसके पश्चात् इन्होंने मिर्जापुर के न्यायालय में नौकरी आरम्भ कर दी। यह नौकरी इनके स्वभाव के अनुकूल नहीं थी, अत: ये मिर्जापुर के मिशन स्कूल में चित्रकला के अध्यापक हो गये। अध्यापन का कार्य करते हुए इन्होंने अनेक कहानी, कविता, निबन्ध, नाटक आदि की रचना की। इनकी विद्वत्ता से प्रभावित होकर इन्हें 'हिन्दी शब्द-सागर' के सम्पादन-कार्य में सहयोग के लिए श्यामसुन्दर दास जी द्वारा...

माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय - Makhanlal Chaturvedi Biography In Hindi

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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय जीवन परिचय -- श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन् 1889 ई॰ में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के 'बाबई' नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ नन्दलाल चतुर्वेदी था, जो पेशे से अध्यापक थे। प्राथमिक शिक्षा विद्यालय में प्राप्त करने के पश्चात् इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। कुछ दिनों तक अध्यापन करने के अनन्तर आपने 'प्रभा' नामक मासिक पत्रिका का सम्पादन किया। ये खण्डवा से प्रकाशित 'कर्मवीर' पत्र का 30 वर्ष तक सम्पादन और प्रकाशन करते रहे। श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा और सम्पर्क से इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लिया और अनेक बार जेल-यात्रा भी की। कारावास के समय भी इनकी कलम नहीं रूकी और कलम के सिपाही के रूप में ये देश की स्वाधीनता के लिए लड़ते रहे। सन् 1943 ई॰ में आप हिन्दी-साहित्य सम्मेलन के सभापति निर्वाचित किये गये। इनकी हिन्दी-सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी॰ लिट्॰ की उपाधि तथा भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से अंलकृत किया। अपन...

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय - Ramdhari Singh Dinkar Biography In Hindi

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रामधारी सिंह 'दिनकर' का  जीवन परिचय जीवन परिचय -- श्री रामधारी सिंह 'दिनकर' का जन्म 30 सितम्बर, 1908 ई॰ (संवत् 1965 वि॰) को जिला मुँगेर (बिहार) के सिमरिया नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह और माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था। इनकी दो वर्ष की अवस्था में ही पिता का देहावसान हो गया; अत: बड़े भाई वसन्त सिंह और माता की छत्रछाया में ही ये बड़े हुए। इनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में ही हुई। अपने विद्यार्थी जीवन से ही इन्हें आर्थिक कष्ट झेलने पड़े। विद्यालय के लिए घर से पैदल दस मील रोज आना-जाना इनकी विवशता थी। इन्होंने मैट्रिक (हाईस्कूल) की परीक्षा मोकामा घाट स्थित रेलवे हाईस्कूल से उत्तीर्ण की और हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करके 'भूदेव' स्वर्णपदक जीता। 1932 ई॰ में पटना से इन्होंने बी॰ ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की। ग्रामीण परम्पराओं के कारण दिनकर जी का विवाहा किशोरावस्था में ही हो गया। अपने पारिवारिक दायित्वों के प्रति दिनकर जी जीवन भर सचेत रहे और इसी कारण इन्हें कई प्रकार की नौकरी करनी पड़ी। सन् 1932 ई॰ में बी॰ ए॰ करने के बाद ये एक स्...

कबीर दास का जीवन परिचय - Kabir Das Biography in Hindi Kabir Das Ka Jivan Parichay

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कबीरदास का जीवन परिचय जीवन परिचय -- कबीर का जन्म सं॰ 1455 वि॰ (सन् 1398 ई॰) में वाराणसी में लहरतारा नामक स्थान पर एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था। लोक-लाज के भय से उसने बच्चे को एक तालाब के किनारे फेंक दिया। उनके जन्म के सम्बन्ध में यह दोहा प्रचलित है-- चौदह सौ पचपन साल गये, चन्द्रवार इक ठाठ ठये। जेठ सुदी बरसाइत को,  पूरनमासी प्रगट भये॥ कबीर का पालन-पोषण नीरू-नीमा नामक एक नि:सन्तान मुसलमान जुलाहा दम्पति ने किया। कबीर की शिक्षा-दीक्षा का कोई प्रबन्ध नहीं था। वह साधु-सन्तों और फकीरों के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करते थे। उन्होंने "मसि कागद छुओ नहीं कलम गह्मो नहिं हाथ" कहकर अपने को अनपढ़ बताया है। कबीर के गुरू काशी के प्रसिध्द सन्त रामानन्द थे। "काशी में मरने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है और मगहर में मरने वाला नरक प्राप्त करता है।"इस धारणा को निर्मूल सिध्द करते हुए कबीर अपना सम्पूर्ण जीवन काशी में बिताने के बाबजूद मृत्यु के समय मगहर चले आये। यहीं 120 वर्ष की आयु में सं॰ 1575 वि॰ (सन् 1518 ई॰) माघ शुक्ल एकादशी, बुधवार को इनका स्वर्गवास हो गया। इनके तिरोधान के व...

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय - Munshi Premchand Biography In Hindi

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मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय जीवन परिचय - उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई, सन् 1880 ई॰ को वाराणसी के निकट लमही नामक ग्राम में हुआ था। इनका वास्तविक नाम धनपतराय था, किन्तु साहित्य के क्षेत्र में ये अपनी कहानियाँ उर्दू में 'नवाबराय' के नाम से लिखते थे। आपके पिता का नाम अजायबराय एवं माता का नाम आनन्दी देवी था। निर्धन परिवार में जन्म लेने और पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनका बचपन बड़े कष्ट में बीता। फिर भी परिश्रम और लगन के साथ आपने अध्ययन जारी रखा और विषम आर्थिक परिस्थितियों से  जुड़ते हुए इन्होंने बी॰ ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने जीवन-कार्य-क्षेत्र में अध्यापक बनकर प्रवेश किया। कुछ समय बाद शिक्षा-क्षेत्र में डिप्टी इंस्पेक्टर हो गये। स्वास्थ्य प्रतिकूल होने के कारण आपने इस पद से त्यागपत्र दे दिया और पुन: अध्यापक हो गये, किन्तु गाँधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन से प्रभावित होकर नौकरी छोड़ दी। इन्हें गरीबी ने फिर आ घेरा, इसलिए कानपुर के मारवाड़ी विद्यालय में पुन: अध्यापक हो गये। वहाँ भी प्रबन्धकों से मतभेद होने पर आप त्याग पत्र देकर चले गये तथा 'मर...

रहीम दास का जीवन परिचय - Rahim Das Biography in Hindi

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रहीम दास का जीवन परिचय जीवन परिचय -   रहीम का जन्म सन् 1556 ई॰ में लाहौर में हुआ था। इनका पूरा नाम अब्दुलरहीम खानखाना था। इनके पिता बैरम खाँ अकबर के सेनापति एवं संरक्षक थे। ये बहुत विद्वान् और नीतिज्ञ थे। दुर्भाग्य से हज यात्रा पर जाते समय इनके पिता की हत्या कर दी गयी। फलत: रहीम का पालन-पोषण इनकी माँ के साथ अकबर की देख-रेख में हुआ। रहीम बचपन से ही मेधावी और तेज स्मरण-शक्ति वाले थे। इन्होंने साहित्य के प्रति अटूट भाव प्रदर्शित किए। इन्होंने बहुत जल्दी ही अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत एवं हिन्दी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। इन्होंने अनेक साहित्य-प्रेमियों, भाषा-मर्मज्ञों और विचारकों से साहित्य-अनुराग प्राप्त किया। रहीम ने पुराणों एवं अन्य भारतीय ग्रन्थों का अध्ययन किया, जिससे हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में इनकी निष्ठा हो गयी। इन्होंने अनेक ग्रन्थों का अनुवाद भी किया। इनका अन्तिम समय विपत्तियों से घिरा रहा तथा इनका देहावसान सन् 1627 ई॰ में असमय ही हो गया। रचनाएँ रहीम की रचनाओं में - बरवै नायिका-भेद-वर्णन, रहीम-सतसई, श्रृंगार-सतसई, मदनाष्टक, रासपंचाध्यायी तथा रहीम रत्न...

सूरदास का जीवन परिचय - Surdas Biography In Hindi

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सूरदास  जी का जीवन परिचय जीवन परिचय -   सूरदास जी का जन्म सन् 1478 ई॰ (वैशाख शुक्ल पंचमी, सं॰ 1535 वि॰) में आगरा-मथुरा मार्ग पर स्थित रूनकता नामक ग्राम में हुआ था। कुछ विद्वान् दिल्ली के निकट 'सीही' ग्राम को भी इनका जन्म-स्थान मानते हैं। सूरदास जी जन्मान्ध थे, इस विषय में भी विद्वानों में मतभेद हैं। इन्होंने कृष्ण की बाल-लीलाओं का, मानव-स्वभाव का एवं प्रकृति का ऐसा सजीव वर्णन किया है, जो आँखों से प्रत्यक्ष देखे बिना सम्भव नहीं है। इन्होंने स्वयं अपने आपको जन्मान्ध कहा है। ऐसा इन्होंने आत्मग्लानिवश, लाक्षणिक रूप में अथवा ज्ञान-चक्षुओं के अभाव के लिए भी कहा हो सकता है। सूरदास की रूचि बचपन से ही भगवद्भक्ति के गायन में थी। इनसे भक्ति का एक पद सुनकर पुष्टिमार्ग के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य ने इन्हें अपना शिष्य बना लिया और श्रीनाथ के मन्दिर में कीर्तन का भार सौंप दिया। श्री वल्लभाचार्य के पुत्र बिट्ठलनाथ ने 'अष्टछाप' नाम से आठ कृष्णभक्त कवियों का जो संगठन किया था, सूरदास जी इसके सर्वश्रेष्ठ कवि थे। वे गऊघाट पर रहकर जीवनपर्यन्त कृष्ण की लीलाओं का गायन करते रहे। सू...

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय - Goswami Tulsidas Biography In Hindi

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गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय जीवन परिचय -  गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म सन् 1532 ई॰ (भाद्रपद,शुक्ल पक्ष, एकादशी, सं॰ 1589 वि॰) में बाँदा जिले के राजापुर ग्राम में हुआ था। कुछ विद्वान् इनका जन्म एटा जिले के 'सोरो' ग्राम में मानते हैं। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने राजापुर का ही समर्थन किया। तुलसी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता आत्माराम दुबे और माता हुलसी ने अभुक्त मूल नक्षत्र में उत्पन्न होने के कारण इन्हें त्याग दिया था। इनका बचपन अनेकानेक आपदाओं के बीच व्यतीत हुआ। सौभाग्य से इनको बाबा नरहरिदास जैसे गुरू का वरदहस्त प्राप्त हो गया। इन्हीं की कृपा से इनको शास्त्रों के अध्ययन-अनुशीलन का अवसर मिला। स्वामी जी के साथ ही ये काशी आये थे, जहाँ परम विद्वान् महात्मा शेष सनातन जी ने इन्हें वेद-वेदांग,दर्शन,इतिहास,पुराण आदि में निष्णात कर दिया। तुलसी का विवाहा दीनबन्धु पाठक की सुन्दर और विदुषी कन्या रत्नावली से हुआ था। इन्हें अपनी रूपवती पत्नी से अत्यधिक प्रेम था। एक बार पत्नी द्वारा बिना कहे मायके चले जाने पर अर्ध्दरात्रि में आँधी-तूफान का सामना करते हुए ये अपनी ससुराल जा पहुँचे।...

मोहन राकेश का जीवन परिचय - Mohan Rakesh Biography In Hindi

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  मोहन राकेश का जीवन परिचय जीवन परिचय -   श्री मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 ई॰ को अमृतसर में हुआ था। इनके पिता श्री करमचन्द गुगलानी पेशे से वकील थे और साहित्य एवं संगीत में विशेष रूचि रखते थे। इन्होंने लाहौर के ओरियण्टल कॉलेज से 'शास्त्री' की परीक्षा उत्तीर्ण करके हिन्दी व संस्कृत में एम॰ ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन्होंने बम्बई (मुम्बई) ,शिमला,जालन्धर और दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन-कार्य किया, किन्तु शीघ्र ही वे इससे ऊब गये; अत: अध्यापन-कार्य को छोड़कर हिन्दी की कहानी पत्रिका 'सारिका' का सम्पादन कार्य करने लगे, परन्तु कार्यालय की नीरस कार्य-पध्दति से ऊबकर इन्होंने यह कार्य भी छोड़ दिया। सन् 1963 ई॰ से जीवन के अन्त तक स्वतन्त्र-लेखन इनकी जीविकोपार्जन का साधन रहा। इन्हें 'नाटक की भाषा' पर कार्य करने के लिए नेहरू फेलोशिप भी प्राप्त हुई थी, लेकिन 1972 ई॰ में असमय मृत्यु के कारण यह कार्य पूर्ण न हो सका। ये जीवन भर आर्थिक अभावों से जूझते रहे, किन्तु इन्होंने कभी मन के विपरीत कोई समझौता नहीं किया। इनका वैवाहिक जीवन भी टूटता-विखरता रहा। इन्हें नये-नये स्थ...

वासुदेवशरण अग्रवाल का जीवन परिचय - Vasudev Sharan Agrawal Biography In Hindi

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डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल का जीवन परिचय जीवन परिचय -   डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल का जन्म सन् 1904 ई॰ में मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में हुआ था। इनके माता-पिता लखनऊ में रहते थे; अत: इनका बचपन लखनऊ में व्यतीत हुआ और यहीं इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई। इन्होंने काशी हिन्दु विश्वविद्यालय से एम॰ ए॰ तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से 'पाणिनिकालीन भारत' नामक शोध-प्रबन्ध पर डी॰ लिट्॰ की उपाधि प्राप्त की। डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल ने पालि, संस्कृत एवं अँग्रेजी भाषाओं; भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का गहन अध्ययन करके उच्चकोटि के विद्वान् के रूप में प्रसिध्दि प्राप्त की और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 'पुरातत्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग' के अध्यक्ष और बाद में आचार्य पद को सुशोभित किया। डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल ने लखनऊ तथा मथुरा के पुरातत्व संग्रहालयों में निरीक्षक पद पर, केन्द्रीय सरकार के पुरातत्व विभाग में संचालक पद पर तथा दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में अध्यक्ष तथा आचार्य पद पर भी कार्य किया। भारतीय संस्कृति और पुरातत्व का यह महान् पण्डित एवं साहित्यकार सन् 1967 ई॰ में परलोक सिधार गया। साहित...

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय - Maithili Sharan Gupt Biography in Hindi

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मैथलीशरण गुप्त का जीवन परिचय जीवन परिचय -- मैथलीशरण गुप्त का जन्म झाँसी जनपद के चिरगाँव नामक ग्राम में सन् 1886 ई॰ में हुआ था। इनके पिता श्री रामचरण गुप्त भगवध्दक्त और हिन्दी काव्य-प्रेमी थे। गुप्त जी बचपन से ही बुध्दिमान, धैर्यशील और संवेदनशील प्रकृति के थे। इनकी सृजन-शक्ति से प्रभावित होकर पिता ने इन्हें सिध्द कवि होने का आशीर्वाद दिया,जो कालान्तर में सत्य सिध्द हुआ। गुप्त जी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। इन्होंने झाँसी के एक स्कूल से नवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की। इसी बीच हिन्दी साहित्य के प्रखर स्तम्भ आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के संसर्ग में आने से इनकी प्रतिभा चमक उठी और ये उच्च कोटि के सफल कवि हो गये। गुप्त जी मानवीय और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत थे। असहयोग आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण इन्हें कई बार कारागार भेजा गया। आगरा तथा प्रयाग विश्वविद्यालय ने इन्हें क्रमशः सन् 1948 ई॰ और सन् 1958 ई॰ में डी॰ लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया। सन् 1954 ई॰ में भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण की उपाधि से अलंकृत किया। आपके व्यक्तित्व एवं गुणों से प्रभावित होकर भारत...

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय - Bhartendu Harishchandra Biography In Hindi

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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय जीवन परिचय -   भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में सन् 1850 ई॰ में हुआ था। बचपन में ये चंचल स्वभाव के थे। इनके पिता गोपालचन्द्र ब्रजभाषा के अच्छे कवि थे। इनकी कविताएँ बड़ी मधुर होती थीं। ये 'गिरिधरदास' के उपनाम से विख्यात थे। हरिश्चन्द्र को कविता-सृजन की शक्ति जन्मजात प्राप्त हुई थी। सात वर्ष की अल्पायु में ही इन्होंने कविता लिखकर अपने पिता को दिखायी और प्रसन्न होकर पिता ने इन्हें कवि बनने का आशीर्वाद दिया। अचानक इनका स्वास्थ्य गिरने लगा और सरस्वती का यह अमर सपूत असमय ही सन् 1885 ई॰ में 35 वर्ष की अल्पायु में ही इनका स्वर्गवास हो गया। रचनाएँ   भारतेन्दुजी का व्यक्तित्व इनकी रचनाओं में स्पष्ट परिलक्षित होता है। इनकी रचनाओं का विवरण इस प्रकार है- (1) काव्य - प्रेम-माधुरी,प्रेम-प्रलाप,प्रेम-तरंग,प्रेमाश्रु-वर्षण,प्रेम-सरोवर,प्रेम-फुलवारी,दानलीला,कृष्णचरित,विजय-वल्लरी,विजय-पताका,बन्दर-सभा,बकरी-विलाप आदि। (2) नाटक -   सत्य हरिश्चन्द्र,चन्द्रावली,अँधेर नगरी,वैदिक हिंसा, हिंसा न भवति,भारत-दुर्दशा,विषस्य विष...

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय - Acharya Hazari Prasad Dwivedi Biography In Hindi

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आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय जीवन परिचय -  आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 ई० में बलिया जनपद के ग्राम ओझवलिया के छोटे-से टोले आत्माराम दुबे का छपरा में हुआ था। आपके पिता का नाम पं० अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिकली देवी था। आपके पिता ज्योतिष विद्या के विद्वान् थे। आपके पिता आपको संस्कृत और ज्योतिष में निपुण बनाना चाहते थे। अतः द्विवेदी जी ने काशी विश्वविद्यालय से साहित्य एवं ज्योतिष में आचार्य परीक्षा उत्तीर्ण की। इण्टर के बाद आप अस्वस्थ हो जाने के कारण बी० ए० की परीक्षा न दे सके। अतः विद्यार्जन के लिए घर पर ही गहन अध्ययन में लीन हो गये। आपने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिष एवं साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। सन् 1940 ई० में हिन्दी-संस्कृत के अध्यापक के रूप में आप शान्तिनिकेतन गये और वहाँ लगभग 20 वर्ष तक विभागाध्याक्ष पद पर रहे। यहाँ पर विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, क्षितिमोहन सेन और बनारसीदास चतुर्वेदी के सम्पर्क में रहकर आपने बाँग्ला और अँग्रेजी का गहन अध्ययन किया। यहीं पर आपने 'विश्वभारती' का सम्पादन किया। सन् 1941 ई० में ...

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय - Mahadevi Varma Biography In Hindi

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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय  जीवन परिचय - महादेवी वर्मा का जन्म होली के दिन, 26 मार्च, सन् 1907 ई० को फर्रूखाबाद के शिक्षित और सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री गोविन्दप्रसाद वर्मा भागलपुर में प्रधानाचार्य थे तथा माता श्री हेमरानी देवी एक विदुषी महिला थीं। वे भी मीरा और कबीर के पद गाती एवं कविता किया करती थीं। उन्होंने माँ से ईश्वर के प्रति अनुराग और पिता से सफल आचार्य के गुण सीखे। इन्दौर में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करके आपने क्रास्थवेट कॉलेज, इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्त की। 11 वर्ष की अल्पायु में ही आपका विवाहा डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा से हो गया। उनके देहवसान के बाद आपने पुनः शिक्षा प्रारम्भ की और प्रयाग विश्वविद्यालय से एम० ए० (संस्कृत) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् आप प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या नियुक्त हुई, जहाँ से सन् 1965 ई० में अवकाश ग्रहण किया। इनकी कृति 'यामा' पर इंग्लैण्ड की तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती थ्रैचर ने इनको ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। हिन्दी साहित्य की महान् सेवा करने-वाली यह महान् देवी 11 सितम्बर ...

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय - Jaishankar Prasad Biography In Hindi

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जय शंकर प्रसाद जी का जीवन परिचय   जीवन परिचय   जयशंकर प्रसाद जी का जन्म काशी के सम्पन्न वैश्य परिवार में सन् 1890 ई० में हुआ था। इनके बचपन में ही इनके पिता तथा बड़े भाई स्वर्गवासी हो गए थे। इनके दादा जी  का नाम शिवरत्न साहू पिता का नाम देवी प्रसाद तथा बड़े भाई का नाम शम्भूूरत्न था।परिणामतः अल्पावस्था में ही लाड़-प्यार सेे पले  प्रसादजी को घर का सारा वहन करना पड़ा। इन्होने स्कूली शि क्षा  छोड़कर घर पर ही अंग्रेजी,हिन्दी,बांग्ला तथा संस्कृत भाषा का ज्ञा न प्राप्त किया। अपने पैतृक कार्य को करते हुए भी इन्होने अपने अन्दर काव्य प्रेरणा को जीवित रखा। इनका जीवन बहुत सरल था। ये सभा सम्मेलनों की भीड़ से बहुत दूर रहा करते थे। ये शिव के उपासक थे।  'कामायनी' पर इनको हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' पुरूष्कार प्रदान किया गया था। अत्यधिक श्र म तथा जीवन के अंतिम दिनो में राजय क्ष् मा रोग से पीड़ित होने के कारण 14 नवम्बर सन् 19 3 7 ई० में 47 वर्ष की अल्पायु में ही प्रसाद जी का स्वर्गवास हो गया। कृतियाँ   (1) कामायनी (2) लहर (3) झरना (4) ...