रहीम दास का जीवन परिचय - Rahim Das Biography in Hindi
जीवन परिचय - रहीम का जन्म सन् 1556 ई॰ में लाहौर में हुआ था। इनका पूरा नाम अब्दुलरहीम खानखाना था। इनके पिता बैरम खाँ अकबर के सेनापति एवं संरक्षक थे। ये बहुत विद्वान् और नीतिज्ञ थे। दुर्भाग्य से हज यात्रा पर जाते समय इनके पिता की हत्या कर दी गयी। फलत: रहीम का पालन-पोषण इनकी माँ के साथ अकबर की देख-रेख में हुआ। रहीम बचपन से ही मेधावी और तेज स्मरण-शक्ति वाले थे। इन्होंने साहित्य के प्रति अटूट भाव प्रदर्शित किए। इन्होंने बहुत जल्दी ही अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत एवं हिन्दी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। इन्होंने अनेक साहित्य-प्रेमियों, भाषा-मर्मज्ञों और विचारकों से साहित्य-अनुराग प्राप्त किया। रहीम ने पुराणों एवं अन्य भारतीय ग्रन्थों का अध्ययन किया, जिससे हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में इनकी निष्ठा हो गयी। इन्होंने अनेक ग्रन्थों का अनुवाद भी किया। इनका अन्तिम समय विपत्तियों से घिरा रहा तथा इनका देहावसान सन् 1627 ई॰ में असमय ही हो गया।
रहीम अपने नीतिप्रधान दोहों के कारण जनसाधारण के सर्वप्रिय कवि बन गये हैं। इनके दोहे हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। हिन्दी काव्य-जगत् में रहीम नीतिकार के रूप में सर्वमान्य कवि के रूप में सदैव अमर रहेंगे।
रचनाएँ
रहीम की रचनाओं में - बरवै नायिका-भेद-वर्णन, रहीम-सतसई, श्रृंगार-सतसई, मदनाष्टक, रासपंचाध्यायी तथा रहीम रत्नावली विशेष उल्लेखनीय हैं।भाषा-शैली
रहीम की भाषा में विविधता है। इसका कारण इनका भाषा-ज्ञान है। इनकी भाषा में अवधी और संस्कृत के समान ही अरबी, फारसी के शब्द भी बहुतायत रूप में मिलते हैं। अवधी और ब्रज दोनों पर इनका समान अधिकार है। माधुर्य गुण के कारण भाषा में लालित्य पाया जाता है। रहीम ने मुख्यतया मुक्तक शैली को ही अपनाया है। इससे इनकी भावाभिव्यक्ति अधिक बोधमय हुई है।रहीम अपने नीतिप्रधान दोहों के कारण जनसाधारण के सर्वप्रिय कवि बन गये हैं। इनके दोहे हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। हिन्दी काव्य-जगत् में रहीम नीतिकार के रूप में सर्वमान्य कवि के रूप में सदैव अमर रहेंगे।

Comments
Post a Comment