अशोक वाजपेयी का जीवन परिचय - Ashok Vajpayee Biography In Hindi
जीवन परिचय -- श्री अशोक वाजपेयी का जन्म 16 जनवरी, सन् 1941 ई॰ को तत्कालीन मध्य प्रदेश के दुर्ग नामक स्थान पर हुआ था। इनका परिवार निम्न-मध्यमवर्गीय एवं संस्कारी था। इन्होंने सागर विश्वविद्यालय से बी॰ ए॰ तथा सेण्ट स्टीफेन्स कॉलेज, नयी दिल्ली से अंग्रजी विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। सन् 1965 ई॰ में नयी दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज के अंग्रजी विभाग से अध्यापन-कार्य छोड़कर ये भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए और प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में कार्य किया। प्रशासनिक सेवा में आने के पूर्व से ही ये कवि रूप में चर्चित रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में इनके द्वारा प्रकल्पित और स्थापित संस्थानों, आयोजनों, प्रकाशनों और विमर्शों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये 'जामिया मिलिया इस्लामिया' विश्व-विद्यालय तथा 'बिरला फाउण्डेशन' से भी सम्बध्द रह चुके हैं। भोपाल में इन्होंने एक बहु-आयामी कला-केन्द्र 'भारत भवन' की स्थापना की। वर्धा स्थित महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के ये प्रथम कुलपति रहे।
विख्यात हिन्दी कवि, आलोचक और सम्पादक अशोक वाजपेयी को 'साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'दयावती कवि-शेखर सम्मान' और 'कबीर सम्मान' से सम्मानित किया जा चुका है। एक विद्वान के रूप में इन्होंने यूरोप के विभिन्न सम्मेलनों में भाग लिया है और भाषण भी दिये हैं। इन्हें पोलैण्ड के राष्ट्रपति तथा फ्रांसीसी सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
वर्तमान नयी दिल्ली में ही निवास कर सतत साहित्य-साधना में संलग्न हैं।
रचनाएँ --
श्री अशोक वाजपेयी की 15 कविता-पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख हैं-
(1) शहर अब भी सम्भावना है, (2) एक पतंग अनंत, (3) अगर इतने से, (4) तत्पुरूष, (5) कहीं नहीं वहीं, (6) बहुरि अकेला, (7) इबारत से गिरी मात्राएँ, (8) आविन्यो, (9) अभी कुछ और, (10) समय के पास समय, (11) उम्मीद का दूसरा नाम, (12) तिनका तिनका, (13) थोड़ी-सी जगह, (14) घास में दुबका आकाश, (15) पुनरपि, (16) विवक्षा। साहित्य और आलोचना से सम्बन्धित इनकी सात कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं, जिनमें प्रमुख हैं- (1) फिलहाल, (2) कुछ पूर्वाग्रह, (3) समय से बाहर, (4) कविता का गल्प, (5) सिध्दियाँ शुरू हो गयी हैं।
साहित्य में स्थान -- अशोक वाजपेयी ने अपने समय की सच्चाई को मूर्त रूप प्रदान कर कविता के क्षेत्र में अपना नाम दर्ज कराया है, जो कि वास्तव में एक कठिन कार्य है और इतनी प्रतिभा विरलों में ही होती है। आधुनिक हिन्दी-साहित्य सेवा के लिए सदैव याद किये जाएँगे।

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