माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय - Makhanlal Chaturvedi Biography In Hindi
जीवन परिचय -- श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन् 1889 ई॰ में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के 'बाबई' नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ नन्दलाल चतुर्वेदी था, जो पेशे से अध्यापक थे। प्राथमिक शिक्षा विद्यालय में प्राप्त करने के पश्चात् इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। कुछ दिनों तक अध्यापन करने के अनन्तर आपने 'प्रभा' नामक मासिक पत्रिका का सम्पादन किया। ये खण्डवा से प्रकाशित 'कर्मवीर' पत्र का 30 वर्ष तक सम्पादन और प्रकाशन करते रहे।
श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा और सम्पर्क से इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लिया और अनेक बार जेल-यात्रा भी की। कारावास के समय भी इनकी कलम नहीं रूकी और कलम के सिपाही के रूप में ये देश की स्वाधीनता के लिए लड़ते रहे। सन् 1943 ई॰ में आप हिन्दी-साहित्य सम्मेलन के सभापति निर्वाचित किये गये। इनकी हिन्दी-सेवाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी॰ लिट्॰ की उपाधि तथा भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से अंलकृत किया। अपनी कविताओं द्वारा नव-जागरण और क्रान्ति का शंख फूँकने वाला कलम का यह सिपाही 30 जनवरी, सन् 1968 ई॰ को दिवंगत हो गया।
रचनाएँ --
चतुर्वेदी जी के कविता-संग्रह हैं-
(1) हिमकिरीटिनी,(2) हिमतरंगिनी,(3) माता,(4) युगचरण,(5) समर्पण,(6) वेणु लो गूँजे धरा। इनकी 'हिमतरंगिनी' साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत रचना है। इनकी अन्य प्रमुख रचनाएँ हैं-साहित्य देवता, रामनवमी, सन्तोष, बन्धन सुख, कला का अनुवाद, कृष्णार्जुन युध्द आदि।
साहित्य में स्थान -- श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएँ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। आपने ओजपूर्ण भावात्मक शैली में रचनाएँ कर युवकों में जो ओज और प्रेरणा का भाव भरा है, उसका राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में बहुत बड़ा योगदान है। राष्ट्रीय चेतना के कवियों में आपका मूर्धन्य स्थान है। हिन्दी साहित्य जगत् में आप अपनी हिन्दी-साहित्य सेवा के लिए सदैव याद किये जाएँगे।

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