आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय - Acharya Hazari Prasad Dwivedi Biography In Hindi
जीवन परिचय - आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 ई० में बलिया जनपद के ग्राम ओझवलिया के छोटे-से टोले आत्माराम दुबे का छपरा में हुआ था। आपके पिता का नाम पं० अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिकली देवी था। आपके पिता ज्योतिष विद्या के विद्वान् थे। आपके पिता आपको संस्कृत और ज्योतिष में निपुण बनाना चाहते थे। अतः द्विवेदी जी ने काशी विश्वविद्यालय से साहित्य एवं ज्योतिष में आचार्य परीक्षा उत्तीर्ण की। इण्टर के बाद आप अस्वस्थ हो जाने के कारण बी० ए० की परीक्षा न दे सके। अतः विद्यार्जन के लिए घर पर ही गहन अध्ययन में लीन हो गये। आपने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिष एवं साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की।
सन् 1940 ई० में हिन्दी-संस्कृत के अध्यापक के रूप में आप शान्तिनिकेतन गये और वहाँ लगभग 20 वर्ष तक विभागाध्याक्ष पद पर रहे। यहाँ पर विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, क्षितिमोहन सेन और बनारसीदास चतुर्वेदी के सम्पर्क में रहकर आपने बाँग्ला और अँग्रेजी का गहन अध्ययन किया। यहीं पर आपने 'विश्वभारती' का सम्पादन किया। सन् 1941 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय ने आपको डी० लिट्० की उपाधि से सम्मानित किया। हिन्दी-सेवा के लिए सन् 1957 ई० में भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया। कुछ समय रूग्ण रहने के बाद 19 मई सन् 1979 ई० को हिन्दी गद्य-साहित्याकाश का यह देदीप्यमान नक्षत्र अस्त हो गया।
(2) निबन्ध - अशोक के फूल,कुटज,विचार और वितर्क,कल्पलता,साहित्य के साथी,आलोक-पर्व आदि।
(3) आलोचना साहित्य - सूर साहित्य,कबीर,सूरदास और उनका काव्य,हिन्दी साहित्य की भूमिका,हमारी साहित्यिक समस्याएँ,साहित्य-समीक्षा,कालिदास की लालित्य-योजना,हिन्दी साहित्य का आदिकाल आदि।
(4)अनूदित साहित्य - प्रबन्ध चिन्तामणि,प्रबन्धकोश,मेरा बचपन,लाल कनेर आदि।
(5) शोध साहित्य - मध्यकालीन धर्म-साधना,हिन्दी-सिध्द साहित्य,जैन साहित्य,अपभ्रंश साहित्य,नाथ सम्प्रदाय आदि।
(6) सम्पादित साहित्य - संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो,नाथ सिध्दों की बानियाँ आदि।इन सभी में आपकी कुशल सम्पादन-कला झलकती है।
सन् 1940 ई० में हिन्दी-संस्कृत के अध्यापक के रूप में आप शान्तिनिकेतन गये और वहाँ लगभग 20 वर्ष तक विभागाध्याक्ष पद पर रहे। यहाँ पर विश्वकवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, क्षितिमोहन सेन और बनारसीदास चतुर्वेदी के सम्पर्क में रहकर आपने बाँग्ला और अँग्रेजी का गहन अध्ययन किया। यहीं पर आपने 'विश्वभारती' का सम्पादन किया। सन् 1941 ई० में लखनऊ विश्वविद्यालय ने आपको डी० लिट्० की उपाधि से सम्मानित किया। हिन्दी-सेवा के लिए सन् 1957 ई० में भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया। कुछ समय रूग्ण रहने के बाद 19 मई सन् 1979 ई० को हिन्दी गद्य-साहित्याकाश का यह देदीप्यमान नक्षत्र अस्त हो गया।
रचनाएँ
इनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं -
(1) उपन्यास - बाणभट्ट की आत्मकथा,पुनर्नवा,अनामदास का पोथा,चारू चन्द्रलेख आदि।(2) निबन्ध - अशोक के फूल,कुटज,विचार और वितर्क,कल्पलता,साहित्य के साथी,आलोक-पर्व आदि।
(3) आलोचना साहित्य - सूर साहित्य,कबीर,सूरदास और उनका काव्य,हिन्दी साहित्य की भूमिका,हमारी साहित्यिक समस्याएँ,साहित्य-समीक्षा,कालिदास की लालित्य-योजना,हिन्दी साहित्य का आदिकाल आदि।
(4)अनूदित साहित्य - प्रबन्ध चिन्तामणि,प्रबन्धकोश,मेरा बचपन,लाल कनेर आदि।
(5) शोध साहित्य - मध्यकालीन धर्म-साधना,हिन्दी-सिध्द साहित्य,जैन साहित्य,अपभ्रंश साहित्य,नाथ सम्प्रदाय आदि।
(6) सम्पादित साहित्य - संक्षिप्त पृथ्वीराज रासो,नाथ सिध्दों की बानियाँ आदि।इन सभी में आपकी कुशल सम्पादन-कला झलकती है।
हजारीप्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख शैलियाँ इस प्रकार है -
गवेषणात्मक,विवेचनात्मक,आलोचनात्मक,भावात्मक एवं व्यंग्यात्मक आदि।

Comments
Post a Comment