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Showing posts from May, 2020

पंडित प्रताप नारायण मिश्र का जीवन परिचय - Pandit Pratap Narayan Mishra Biography In Hindi

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पं॰ प्रतापनारायण मिश्र का जीवन परिचय  जीवन परिचय -- आधुनिक हिन्दी निर्माताओं की वृहत्त्रयी में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बालकृष्ण भट्ट और प्रतापनारायण मिश्र की गणना होती है। भारतेन्दु युग के देदीप्यमान नक्षत्र पं॰ प्रतापनारायण मिश्र का जन्म सन् 1856 ई॰ में उन्नाव जनपद के बैजे नामक ग्राम में हुआ था। आपके पिता पं॰ संकटाप्रसाद एक प्रसिध्द ज्योतिषाचार्य थे। वे ज्योतिष विद्या के माध्यम से ही उन्नाव से कानपुर आकर बस गये थे। यहीं पर उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। इनके पिता इन्हें ज्योतिष पढ़ाकर पैतृक व्यवसाय में लगाना चाहते थे, किन्तु स्वभाव चंचल और मनमौजी होने के कारण आपका ध्यान ज्योतिषपठन में नहीं रमा। स्वाध्याय से ही मिश्र जी ने संस्कृत, उर्दू, हिन्दी, फारसी, बाँग्ला और अँग्रजी आदि भाषाओं पर अच्छा अधिकार कर लिया। भारतेन्दु युग हिन्दी साहित्य का उदय काल है। भारतेन्दु जी की 'कविवचन-सुधा' पत्रिका का विशेष प्रभाव पड़ा और वहीं से आपने कविता लिखना प्रारम्भ कर दिया। बाद में गद्य के क्षेत्र में आ गये। भारतेन्दु उनके आदर्श थे। मिश्र जी ने उन्हीं जैसी व्यावहारिक शैली अपनायी। उन दिनों लावनियों...

मीराबाई का जीवन परिचय - Meera Bai Biography In Hindi

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                      मीराबाई का जीवन परिचय  जीवन परिचय -- मीराबाई का जन्म सन् 1498 ई॰ में राजस्थान में मेड़ता के पास चौकड़ी नामक ग्राम में हुआ था। ये जोधपुर के संस्थापक राव जोधाजी की प्रपौत्री एवं जोधपुर-नरेश रत्न सिंह की पुत्री थीं। बचपन में ही इनकी माता का स्वर्गवास हो जाने से इनका पालन-पोषण दादा की देख-रेख में शान-शौकत के साथ हुआ। इनके दादा राव दूदाजी बड़े धार्मिक स्वभाव के थे; अत: मीरा के जीवन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा। जब मीरा मात्र आठ वर्ष की थीं, तभी उन्होंने कृष्ण को अपने पतिरूप में मन में स्वीकार कर लिया। मीरा का विवाहा चित्तौड़ के महाराणा सांगा के सबसे बड़े पुत्र भोजराज के साथ हुआ था। विवाहा के कुछ समय बाद ही इनके पति की असामयिक मृत्यु हो गयी। इसका मीरा के जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि वह तो पहले से ही भगवान् कृष्ण को अपने पतिरूप में स्वीकार कर चुकी थीं। वे सदैव श्रीकृष्ण के चरणों में अपना ध्यान केन्द्रित रखती थीं। मीरा के इस कार्य से परिवार के लोग नाराज रहते थे, क्योंकि उनका यह कार्य राजघराने की प्रतिष्ठा ...

अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय - Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh Biography In Hindi

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(जीवनकाल सन् 1865 ई॰ से सन् 1947 ई॰) अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी द्विवेदी युग के प्रमुख कवि थे। इन्होंने आधुनिक खड़ीबोली के काव्य-क्षेत्र को अपनी मौलिक प्रतिभा के आधार पर समृध्द बनाया। हरिऔधजी ने प्राचीन विषयों, छन्दों तथा काव्य के अन्तरंग और बहिरंग पक्षों पर नवीन युग की उभरती हुई मान्यताओं की रंग-भरी तूलिका फेरी। इनकी काव्यधारा; युग की परम्पराओं एवं मान्यताओं को यथार्थ रूप में लेकर प्रवाहित हुई है। इस दृष्टि से आधुनिक कविता का सर्वप्रथम प्रगतिशील कवि हरिऔधजी को कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी। जीवन परिचय -  अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी का जन्म आजमगढ़ जिले के निजामाबाद गाँव में सन् 1865 ई॰ (संवत् 1922) में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ भोलासिंह और माता का नाम रुक्मिणी देवी था। इनके पूर्वज शुक्ल-यजुर्वेदी सनाढ्य ब्राह्मण थे, जो कालान्तर में सिक्ख हो गए थे। मिडिल परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् इन्होंने काशी के क्वीन्स कॉलेज में प्रवेश लिया, किन्तु अस्वस्थता के कारण इन्हें बीच में ही अपना विद्यालयीय अध्ययन छोड़ देना पड़ा। तत्पश्चात् इन्होंने घर पर ही फारसी, अंग्रेजी, और संस्कृत भाषा...

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जीवन परिचय - Sachidanand Hiranand Vatsyayan Agay Biography In Hindi

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अज्ञेयजी का जीवन परिचय  जीवन परिचय -  बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न साहित्यकार अज्ञेयजी का जन्म पंजाब प्रान्त के करतारपुर (जालन्धर) नगर में सन् 1911 ई॰ में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री हीरानन्द शास्त्री था। ये मूलत: भणोत सारस्वत ब्राह्मण कुल के थे, लेकिन जातीय संकीर्णता को दूर करने के लिए इन्होंने अपने नाम के साथ 'वात्स्यायन' लिखना आरम्भ किया। अज्ञेयजी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही सम्पन्न हुई। तत्पश्चात् इन्होंने फारसी और अंग्रेजी पढ़ी। इनकी उच्च शिक्षा मद्रास (चेन्नई) और लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुई। सन् 1929 ई॰ में विज्ञान स्नातक होने के बाद ये अंग्रेजी साहित्य में एम॰ ए॰ कर रहे थे कि इन्हें क्रान्तिकारी आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल में बन्द कर दिया गया। सन् 1930 ई॰ से 1934 ई॰ तक ये जेल में रहे और वहीं लेखन-कार्य करते रहे। इनका 'अज्ञेय' नाम जेल में ही रखा गया। सन् 1955 ई॰ में ये यूनेस्को द्वारा प्रदत्त स्कॉलरशिप प्राप्त कर यूरोप गए। सन् 1957 ई॰ में इन्होंने जापान और पूर्वी एशिया का भ्रमण किया। कुछ समय तक ये अमेरिका में 'भारतीय साहित्य और संस्कृति...

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जीवन परिचय - Suryakant Tripathi Nirala Biography In Hindi

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जीवन परिचय -- महात्मा कबीर के बाद हिन्दी साहित्य-जगत् मे यदि किसी फक्कड़ और निर्भीक कवि का जन्म हुआ तो वे थे-महाकवि निराला। निराला के काव्य में कबीर का फक्कड़पन और निर्भीकता, सूफियों का सादापन, सूर-तुलसी की प्रतिभा और प्रसाद की सौन्दर्य-चेतना साकार हो उठी है। वे एक ऐसे विद्रोही कवि थे, जिन्होंने निर्भीकता के साथ अनेक रूढ़ियों को तोड़ डाला और काव्य के क्षेत्र में अपने नवीन प्रयोगों से युगान्तरकारी परिवर्तन किए। मुक्त-छन्द के प्रवत्तक महाकवि निराला का जन्म सन् 1897 ई॰ (संवत् 1954) में, बंगाल प्रान्त के मेदिनीपुर जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ रामसहाय त्रिपाठी था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा राज्य के हाईस्कूल मे हुई। इनकी बचपन से ही घुड़सवारी, कुश्ती और खेती का बड़ा शौक था। बालक सूर्यकान्त के सिर से माता-पिता का साया अल्पायु में ही उठ गया था। निरालाजी को बाँग्ला और हिन्दी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। इन्होंने संस्कृत और हिन्दी-साहित्य का भी अध्ययन किया। भारतीय दर्शन में इनकी पर्याप्त रूचि थी। निरालाजी का पारिवारिक जीवन अत्यन्त कष्टमय रहा। एक पुत्र और एक पुत्री को जन्म देकर इनकी पत्नी स्वर...