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Showing posts from September, 2022

सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय - Sardar Puran Singh Biography In Hindi

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(जीवनकाल सन् 1881 ई० से 1931 ई०) सरदार पूर्णसिंह, द्विवेदी युग के श्रेष्ठ तथा सफल निबन्धकार हैं। अध्यापक पूर्णसिंह हिन्दी-गद्य साहित्य के प्रचार-प्रसार के अद्वितीय उत्थान के निबन्धकार हैं। उन्होंने भावात्मक एवं लाक्षणिक शैली के निबन्धों की रचना करके इस क्षेत्र में एक नयी परम्परा का सूत्रपात किया।  आपने मात्र छ: निबन्ध लिखकर ही हिन्दी के निबन्धकारों में अपना उच्चकोटि का स्थान बनाया। जीवन परिचय -  सरदार पूर्णसिंह का जन्म  सन् 1881 ई०  में ऐबटाबाद (पंजाब) जिले के सलहड़ नामक ग्राम में हुआ था।   अपनी माता के सात्विक और धर्मपरायण जीवन ने बालक पूर्णसिंह को अति प्रभावित किया। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा  रावलपिण्डी  में हुई। हाईस्कूल करने के बाद आप  लाहौर  चले गए।  लाहौर से इण्टरमीडिएट-परीक्षा उत्तीर्ण करके आप रसायनशास्त्र का विशेष अध्ययन करने हेतु जापान चले गये। वहाॅं आपकी भेंट  स्वामी रामतीर्थ  से हुई। स्वामीजी से प्रभावित होकर आपने संन्यास ले लिया और उन्हीं के साथ  भारत  लौट आये। बाद में आपने अपनी गृहस्थी भी बसाई और देहरादून के...

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय - Padumlal Punnalal Bakshi Biography In Hindi

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(जीवनकाल सन् 1894-1971 ई०) जीवन परिचय -  पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी द्विवेदी युग के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। उनकी प्रसिद्धि का प्रमुख आधार आलोचना और निबन्ध-लेखन था। विशेषत: ललित-निबन्धों के क्षेत्र में उन्हें अपार यश प्राप्त हुआ। एक गम्भीर विचारक, शिष्ट हास्य-व्यंग्यकार और कुशल आलोचक के रूप में बख्शीजी सदैव याद किए जाते रहेंगे। डॉ० राजेश्वरप्रसाद चतुर्वेदी के अनुसार, "बख्शीजी सरल और सात्त्विक विचारों के साहित्यकार हैं तथा उनकी साहित्य-साधना विविधरूपिणी भी है। वह खड़ीबोली के भावुक कवि, सुयोग्य सम्पादक, अध्ययनशील समीक्षक, प्रौढ़ निबन्धकार, समर्थ अनुवादक और एक कुशल कहानीकार के रूप में हमारे सामने आते हैं।" जीवन परिचय -  बख्शीजी का जन्म सन् 1894 ई० में छत्तीसगढ़ क्षेत्र के अन्तर्गत खैरागढ़ नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम उमराव और पितामह का नाम पुन्नालाल बख्शी था।  इनके पितामह और पिता दोनों ही साहित्यानुरागी थे और काव्य-रचना भी करते थे। इनकी माता के हृदय में भी साहित्य के लिए बहुत अनुराग था। इस प्रकार बख्शीजी का जन्म एक साहित्यिक परिवार में हुआ था और ऐसे परिवेश में ही उनक...

जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय - Jaiprakash Bharti Biography In Hindi

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(जीवनकाल सन् 1936-2005 ई०) लोकप्रिय बाल-पत्रिका 'नन्दन' के यशस्वी सम्पादक जयप्रकाश भारती ने लेखन और पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में विशेष ख्याति अर्जित की। श्रेष्ठ बाल-साहित्य तथा साहित्यिक भाषा में वैज्ञानिक विषयों पर रचना-कार्य करने में ये सिद्धहस्त रहे हैं। इस दिशा में इन्होंने कई साहित्यिक अभावों की पूर्ति की। सरस एवं सरल भाषा में किसी भी गम्भीर विषय को बोधगम्य एवं रूचिप्रद बना देने की योग्यता के कारण इनका साहित्य अत्यन्त लोकप्रिय हुआ है। जीवन परिचय -  साहित्यिक शैली में रचित विविध वैज्ञानिक विषयों के लेखक और बाल-साहित्य के सफलतम साहित्यकार  जयप्रकाश भारती का जन्म सन् 1936 ई० में उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगर मेरठ में हुआ था।  इनके पिता श्री रघुनाथ सहाय मेरठ के प्रसिद्ध एडवोकेट और कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। भारतीजी ने  बी०एस-सी०  तक की शिक्षा मेरठ में ही पूरी की। छात्र-जीवन में इन्होंने अपने पिता को अनेक प्रकार की सामाजिक गतिविधियों में संलग्न देखा; अत: स्वाभाविक रूप से इन पर अपने पिता का व्यापक प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप जयप्रकाश भारती जी ने समाजस...

श्याम सुन्दर दास का जीवन परिचय - Shyam Sundar Das Biography In Hindi

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(जीवनकाल सन् 1875 ई० से 1945 ई०)   डॉ० श्यामसुन्दर दास हिन्दी साहित्याकाश के ऐसे नक्षत्र हैं, जिन्होंने अपने प्रकाश से साहित्य को उज्जवल कर दिया। द्विवेदी युग के विषयों के विवेचन का कार्य सर्वप्रथम बाबू श्यामसुन्दरदास जी ने आरम्भ किया। आपने हिन्दी साहित्य के विकास में अतुलनीय योगदान दिया। आप द्विवेदी युग के श्रेष्ठ निबन्धकार थे। जीवन परिचय -  डॉ० श्यामसुन्दर दास का जन्म काशी के एक पंजाबी खत्री परिवार में  सन् 1875 ई०  को हुआ था।   इनके पिताजी का नाम  श्री देवीदास खन्ना  था।  इन्होंने  प्रयाग विश्वविद्यालय  से  बी० ए०  की परीक्षा उत्तीर्ण की।  बी० ए०  उत्तीर्ण करने के बाद इन्हें  सेण्ट्रल हिन्दू विश्वविद्यालय  में अध्यापक के पद पर नियुक्त किया गया। तत्पश्चात् इनकी नियुक्ति लखनऊ के कालीचरण हाईस्कूल में प्रधानाचार्य के पद पर हुई। इन्हीं दिनों  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय  में हिन्दी विभाग की स्थापना हुई तथा इन्होंने वहाॅं अध्यक्ष का पदभार सॅंभाला। काशी नागरी प्रचारिणी सभा  की स्थापना में इन्होंने स...